तनाव का शरीर पर प्रभाव
तनाव का शरीर पर प्रभाव
तनाव का शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
जब तनाव की तीव्रता अधिक हो जाती है, तो शरीर के वे भाग प्रभावित होने लगते हैं, जो सबसे अधिक दुर्बल होते हैं।
तनाव के कारण शरीर की विषाणुओं से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इसके साथ ही व्यक्ति के सोचने-विचारने की क्षमता भी कम हो जाती है। स्थिति के अनुसार समय को बदल लेने की क्षमता भी कम हो जाती है।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति खुद को समझाने की कोशिश तो करता है लेकिन वह खुद को समझा नहीं पाता है। व्यक्ति को अनेक प्रकार की शारीरिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यदि कोई व्यक्ति मंच पर जाकर बोलने से घबराता हो, तो वह मंच पर ठीक से बोल नहीं पाएगा। जो छात्र परीक्षा से घबराता रहेगा, वह ठीक से परीक्षा नहीं दे पाएगा। भय, क्रोध और चिंता में व्यक्ति की कार्यकुशलता बहुत प्रभावित हो जाती है।
शरीर में तनाव बरकरार रहने से शरीर के अंदर के अंगों की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो जाती है। रोगों से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है। जब अंदर के अंगों पर दबाव बना रहेगा, तो पेट में अल्सर, आदि पैदा हो सकता है, रक्तचाप बढ़ सकता है, दिल के रोग लग सकते हैं या कोई अन्य रोग भी हो सकता है।
बहुत अधिक तनाव की स्थिति में रक्त में कुछ रासायनिक परिवर्तन होने लगते हैं, जो दिमाग की कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करते जाते हैं। इस व्यक्ति न ठीक ढंग से सोच-विचार कर पाता है और न ही अनुभव कर पाता है।
इसके अलावा भी व्यक्ति को अनेकों प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है।
आज के आधुनिक युग में कहीं ना कहीं प्रत्येक व्यक्ति तनाव से पीड़ित है, वही अगर पुराने जमाने में देखा जाए तो तनाव की समस्या इतनी अधिक नहीं थी जितनी कि आज है। इसका एक मुख्य कारण यह भी हो सकता है कि आधुनिक जमाने में लोगों ने अपनी लाइफ स्टाइल को अजीबो गरीब तरीके से बदला है।
हमें इस पर ध्यान देकर इसे कम करने की कोशिश करनी चाहिए नहीं तो ऐसा हो सकता है कि आने वाली पीढ़ियों को इससे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़े।
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