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मानसिक शांति के शत्रु घृणा

 घृणा 

घृणा मानव का एक ऐसा शत्रु है , जो किसी - न - किसी रूप में प्रकट होता रहता है । ईर्ष्या - द्वेष , गाली - गलीच , मजाक उड़ाना , दूसरों को चिढ़ाना आदि पृणा के ही रूप हैं । घृणा से छुटकारा पाना बहुत ही कठिन कार्य है , क्योंकि कोई - न - कोई रूप धारण कर यह मन से बाहर प्रकट होती ही रहती है । 

यदि पिता किसी व्यक्ति से घृणा कर रहा है , तो उसकी संतान भी उस व्यक्ति से घृणा करने लगती है । इस प्रकार से घृणा का बीज और आगे बढ़ने लगता है । जिस व्यक्ति से हम घृणा कर रहे होते हैं , यदि यह बीस वर्ष बाद भी मिलता है , तो उसके प्रति हमारा दृष्टिकोण घृणा का ही होता है ।

 घृणा के कारण ही पति - पत्नी में तलाक तक की नौबत आ जाती है । घृणा के कारण ही पिता और पुत्र में मुकदमे तक शुरू हो जाते हैं । घृणा के प्रभाव से बचने का सबसे बढ़िया उपाय यही है कि आप जिस व्यक्ति से भी घृणा कर रहे हों , उसके गुण देखना शुरू कर दो । उन गुणों के कारण अपने अंदर उस व्यक्ति के प्रति आदर - सम्मान का भाव पैदा करने का प्रयास कीजिए । इस रामबाण औषधि से आपके मन से घृणा समाप्त हो जाएगी और मानसिक शांति भी मिलने लग जाएगी ।

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